Top ten free vpn in the world
VPN 

VPN क्या है और कैसे काम करता है ?

VPN का फुलफॉर्म virtual private network होता है ये एक तराह का प्राइवेट नेटवर्क होता है जो की किसी भी यूजर को दुनिया में कही भी और कभी भी इस नेटवर्क को एक्सेस करने की अनुमति देता है इसके लिए आपको नेटवर्क कंपनी की तरफ से एक ip address और लॉग इन यूजर नेम और पासवर्ड प्रोवाइड करता है जिसकी मदद से आप दुनिया में कही से भी इस नेटवर्क को एक्सेस कर सकते है


What Is Ip Address

वी पी एन नेटवर्क का यूज़ ज्यादातर बड़े बड़े कंपनी के वेबसाइट (companies),education institutions वेबसाइट ,goverment वेबसाइट , इत्यादि मे यूज़ किया ज्यादा है क्यों की इन साइट्स में बहोत ही महत्वपूर्ण डाटा होता है जो की हैकर चुरा सकते है इशलिये vpn यूज़ किया जाता है वी पी एन किसी भी तराह के डाटा को इन्टरनेट में गुप्त तरीके से भेजता है जिससे किसी भी हैकर को पता नहीं चलता की डाटा कैसे  भेजा गया है|


क्या Vpn  सेफ  और  सिक्योर होता है(Is Vpn Is Secure)


वी पी एन नेटवर्क आपको फ्री में भी मिल सकता है या फिर आप पैसे देकर  (Premimum ) भी इसको खरीद सकते है अगर आप एक फ्री वीपीएन यूज़ करते है तो इसके कुछ खामिया यानि limitation होती है और अगर आप किसी वीपीएन को खरीदते है तो उसमे आपको बहोत सारे एडवांस  फीचर मिलेंगे.

VPN या Virtual Private Network एक प्राइवेट नेटवर्क है जो साइट्स या उपयोगकर्ताओं (Users) को पब्लिक नेटवर्क (Internet) के इस्तेमाल से जोड़ता है।

VPN एक एन्क्रिप्टेड (Encrypted) कनेक्शन बनाता है, जिसे VPN Tunnel  कहा जाता है, जिससे सारे इंटरनेट ट्रैफिक और कम्युनिकेशन इसी सुरक्षित सुरंग (Secure Tunnel) के रास्ते से गुजरते हैं।

VPN इंटरनेट पर एक सुरक्षित और विश्वसनीय प्राइवेट कनेक्शन प्रदान करता है। तथा आजकल इसका उपयोग होना बहुत आम बात है , India मै Vpn  का उपयोग ट्रैंडिंग  मैं  हैं | 

How To Use Vpn, What is Vpn


इसके लाभ (Benefits)

अक्सर यात्रा करते समय लोग होटल्स, एयरपोर्ट्स या रेस्टोरेंट इत्यादि के हॉटस्पॉट से अपने फ़ोन या कंप्यूटर को कनेक्ट करते हैं। ये हॉटस्पॉट पब्लिक नेटवर्क होने की वजह से पूरी तरह से सुरक्षित नहीं होते हैं। जिसपे हैकर्स आसानी से आपके IP एड्रेस, डिवाइस ID या लोकेशन ट्रैक कर सकते हैं, या इनकी सहायता से डाटा चुरा (Hack) कर सकते हैं।

लेकिन अगर आप VPN की सहायता से इंटरनेट से जुड़ते हैं तो आपकी IP address, डिवाइस ID या लोकेशन डिटेल्स सार्वजनिक रूप से विज़िबल नहीं होती है, जिससे आप पब्लिक नेटवर्क पर हैकिंग के शिकार होने से बच सकते हैं।


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VPN Type:

सामान्यतया दो तरह के VPN होते हैं:

1. Remote-access VPN

2. Site-to-Site VPN

चलिए इनके बारे में जानते हैं.


1. Remote-access VPN:

Remote-access VPN उपयोगकर्ताओं को रिमोट कंप्यूटर नेटवर्क के साथ सुरक्षित कनेक्शन स्थापित करने में सहयोग करता है। जिससे Users उस नेटवर्क के सिक्योर रिसोर्सेज को भी एक्सेस कर सकते हैं, ठीक वैसे ही जैसे कि वह उस नेटवर्क से सीधे प्लग्गड हों।

इंटरनेट पर Users और प्राइवेट नेटवर्क के बीच ये जो कनेक्शन बनता है वह पूरी तरह से सुरक्षित और प्राइवेट होता है।

रिमोट-एक्सेस VPN बिज़नेस और होम Users के लिए useful है।

एक कॉर्पोरेट एम्प्लॉई अपनी यात्रा के दौरान VPN का इस्तेमाल करता है जिससे वह अपने कंपनी के प्राइवेट नेटवर्क पर मौजूद फाइल्स और अन्य सिक्योर रिसोर्सेज को आसानी से एक्सेस कर सके।

होम Users VPN की सहायता से अपने क्षेत्रीय ब्लॉक्ड वेबसाइट कंटेंट को एक्सेस करते हैं। कुछ लोग इंटरनेट पर अपनी सुरक्षा और गोपनीयता को बढ़ाने के लिए VPN सेवाओं को उपयोग करते हैं।


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2. Site-to-Site VPN:

Site-to-Site VPN का मुख्य रूप से कॉर्पोरेट में इस्तेमाल किया जाता है। इसे राऊटर-तो-राऊटर (Router-to-Router) VPN भी कहते हैं।

कम्पनीज अपने भिन्न-भिन्न भौगोलिक स्थानों पर स्थित ऑफिसेस से एक दूसरे को कनेक्ट करने के लिए Site-to-Site VPN का उपयोग करती हैं।

जब एक ही कॉर्पोरेट कंपनी के अलग-अलग स्थानों पर स्थित ऑफिसेस Site-to-Site VPN से कनेक्टेड रहते हैं तो इसे Intranet based VPN कहते हैं।

जब कंपनियां किसी अन्य कंपनी के ऑफिस से कनेक्ट करने के लिए Site-to-Site VPN का उपयोग करती हैं, तो इसे Extranet based VPN कहते हैं।

असल में Site-to-Site VPN भौगोलिक दृस्टि से दूर स्थित ऑफिसेस में नेटवर्क के बीच एक वर्चुअल ब्रिज (Virtual Bridge) बनाता है और इंटरनेट के माध्यम से उन्हें कनेक्ट करता है और उन ऑफिसेस के नेटवर्क के बीच एक सुरक्षित और प्राइवेट कम्युनिकेशन बनाये रखता है।

चूँकि Site-to-Site VPN Router-to-Router कम्युनिकेशन पर आधारित है, इस VPN प्रकार में एक राऊटर VPN क्लाइंट और दूसरा राऊटर VPN सर्वर के रूप में कार्य करता है। इन दोनों routers के बीच कम्युनिकेशन इनके बीच ऑथेंटिकेशन को validate करने के बाद ही शुरू होता है।


ऊपर बताये गए दोनों VPN टाइप्स अलग-अलग VPN सिक्योरिटी प्रोटोकॉल पर आधारित होते हैं। आइये उन प्रोटोकॉल्स के बारे में जानते हैं।


Types of VPN Protocols:

1. Internet Protocol Security or IP Sec:


एक IP नेटवर्क पर इंटरनेट कम्युनिकेशन को सुरक्षित करने के लिए IP Sec का उपयोग किया जाता है। IP Sec सेशन (Session) के ऑथेंटिकेशन (authentication) द्वारा इंटरनेट प्रोटोकॉल कम्युनिकेशन को सुरक्षित करता है और कनेक्शन के दौरान प्रत्येक डाटा पैकेट्स को एन्क्रिप्ट (Encrypt) करता है।

विभिन्न नेटवर्क के बीच डाटा ट्रांसफर को प्रोटेक्ट करने के लिए IP Sec दो माध्यम से कार्य करता है-

(i). ट्रांसपोर्ट मोड (Transport Mode) और

(ii). टनलिंग मोड (Tunneling Mode)

जहाँ ट्रांसपोर्ट मोड  डाटा पैकेट में सन्देश को एन्क्रिप्ट करता है वहीँ टनलिंग मोड  पूरे डाटा पैकेट को ही एन्क्रिप्ट कर देता है।


2. Layer 2 Tunneling Protocol (L2TP):


L2TP या Layer 2 Tunneling Protocol एक टनलिंग प्रोटोकॉल है जो आम तौर पर दूसरे VPN सिक्योरिटी प्रोटोकॉल जैसे IP Sec से जुड़ा होता है, जिससे एक अत्यधिक सुरक्षित VPN कनेक्शन बनाया जा सके।

किसी दो L2TP कनेक्शन पॉइंट के बीच L2TP एक सुरंग (tunnel) बनाता है और IP Sec प्रोटोकॉल उस सुरंग के डाटा को एन्क्रिप्ट करके सिक्योर कम्युनिकेशन को संभाला करता है ।


3. Point-to-Point Tunneling Protocol (PPTP):


Point-to-Point tunneling protocol या PPTP एक टनल बनाता है और डाटा पैकेट को कैप्चर (Encapsulate) करता है। यह कनेक्शन के बीच डाटा को एन्क्रिप्ट करने के लिए पॉइंट-टू-पॉइंट प्रोटोकॉल (PPP) का उपयोग करता है।


4. Secure Sockets Layer (SSL) and Transport Layer Security (TLS):


SSL और TLS एक VPN कनेक्शन बनाते हैं जिसमे वेब ब्राउज़र एक क्लाइंट के रूप में कार्य करता है और उपयोगकर्ता का एक्सेस पूरे नेटवर्क के बजाये कुछ स्पेसिफिक ऍप्लिकेशन्स पर होता है।

SSL और TLS प्रोटोकॉल का इस्तेमाल आमतौर पर ऑनलाइन शॉपिंग वेबसाइट और सर्विस प्रोवाइडर्स द्वारा किया जाता है।

SSL कनेक्शन में URL के शुरुआत में http के बजाये https होता है।


5. Secure Shell (SSH):


SSH एक VPN टनल बनाता है जिसके माध्यम से डाटा स्थानांतरित होता है और यह ये भी सुनिश्चित करता है कि टनल एन्क्रिप्टेड हो।

SSH कनेक्शन SSH Clients द्वारा बनाये जाते हैं और एन्क्रिप्टेड टनल (Encrypted Tunnel) के माध्यम से डाटा स्थानीय पोर्ट (Local Port) से रिमोट सर्वर (Remote Server) पर स्थानांतरित किया जाता है।


6. Open VPN:


Open VPN एक ओपन सोर्स VPN है जो पॉइंट-टू-पॉइंट और साइट-टू-साइट कनेक्शन बनाने के लिए उपयोगी है। ये VPN, SSL और TLS प्रोटोकॉल पर आधारित कस्टमाइज्ड सिक्योर प्रोटोकॉल का उपयोग करता है।