Fingerprint Scanners क्या हैं और कैसे काम करते हैं?


उंगलियों के टिप्स पे मौजूद छोटी-छोटी लकीरें जो अलग-अलग आकृतियों (चक्राकार या वैली) के रूप में होती हैं, इनको Finger prints कहते हैं। ये फिंगर प्रिंट्स यूनिक होते है। इसका मतलब दुनिया मे किसी भी 2 इंसान के फिंगर प्रिंट्स एक सामान नही हो सकते, इनमे थोड़ा बहुत अंतर होता ही है। इनकी इसी uniqueness की वजह से ये बायोमेट्रिक ऑथेंटिकेशन के बहुत से options में से एक है। Finger Print Scanner का इस्तेमाल किसी Individual की पहचान को जांचने के लिए किया जाता है।

फिंगर प्रिंट्स:

ऊँगली में उभरी हुई रेखाएं जो अलग-अलग आकृतियां बनाती हैं उनको रिज (Ridges) कहते हैं और जो गहराई वाले हिस्से होते हैं उनको वैली (Valley) कहते हैं।

फिंगर प्रिंट्स तीन तरह के होते हैं:
1. Arch,
2. Loop और
3. Whorl/Swirl
Fingerprint type
Arch: इसमें एक साइड से शुरू हो के बीच में curve शेप बनाते हुए दूसरे साइड में जा कर ख़तम होती हैं।
Loop: इसमें नीचे से एक curve आता है जो फिंगर के मिडिल तक जाता है और वापस लौट जाता है जो एक लूप का आकार बनाता है।
Whorl: में साइड में curve शेप होती है और बीच में एक सिलिंड्रिकल आकार होती है।

फिंगरप्रिंट सेंसर्स:

अब आइये देखते हैं कि फिंगरप्रिंट सेंसर्स कितने प्रकार के होते हैं ?
सामान्यतः तीन प्रकार के फिंगर प्रिंट सेंसर्स होते हैं:
1. ऑप्टिकल सेंसर्स (Optical Sensors)
2. कपैसिटिव सेंसर्स (Capacitive Sensors)
3. अल्ट्रासोनिक सेंसर्स (Ultrasonic Sensors)

1. Optical Sensors

Optical Fingerprint sensor एक इलेक्ट्रॉनिक device होता है जो हमारी उंगलियों पर मौजूद फिंगर प्रिंट्स pattern का डिजिटल इमेज capture करता है और उसको digitally process करके biometric template बनाता है, जिसका इस्तेमाल फ़ोन को unlock करने में किया जाता है।
हर फिंगरप्रिंट के यूनिक और स्पेसिफिक विशेषतायें फ़िल्टर हो कर एन्क्रिप्टेड फॉर्म में सेव होती हैं।
फ़िंगरप्रिंट की कोई भी इमेज कभी सेव नहीं होती है, केवल नंबर्स की एक सीरीज (बाइनरी कोड) वेरिफिकेशन के लिए सेव होता है। इस अल्गोरिथम को कभी भी वापस इमेज में re-convert नहीं किया जा सकता है, जिससे कोई भी आपके फिंगरप्रिंट को डुप्लीकेट नहीं कर सकता।

2. Capacitive Fingerprint Sensor

कपैसिटिव सेंसर्स ऑप्टिकल सेंसर से अधिक सेफ है। इसमें बहुत छोटे छोटे कपैसिटर सर्किट्स लगे होते हैं जो फिंगर प्रिंट्स के उभारों ( ridges ) को कलेक्ट करते हैं। कपैसिटर इलेक्ट्रिकल चार्ज को स्टोर कर लेते हैं और उनको स्कैनर की सतह पे लगे conductive प्लेट्स से जोड़कर फिंगरप्रिंट्स को वेरीफाई करते हैं। ये सर्किट्स इतने छोटे होते हैं की उँगलियों के उभरी रेखाओं ( ridges ) के संपर्क में आते ही एक्टिव होतीं हैं और ridges के गैप वाली जगह valleys वाली जगह पे इनएक्टिव होती हैं। इसी प्रोसेस का इस्तेमाल करके ये सेंसर्स फिंगर प्रिंट का एक टेम्पलेट तैयार करते हैं जिनका इस्तेमाल ये फिंगरप्रिंट्स को वेरीफाई करने में करते हैं। ये प्रोसेस इतना फ़ास्ट होता है की स्कैनर पे ऊँगली लगते ही ये तेजी से स्कैन करके स्टोर्ड टेम्पलेट्स से मैच करके फ़ोन्स को अनलॉक भी कर देते हैं।
जहाँ-जहाँ रिज स्कैनर पे टच होते हैं वहां वहां सर्किट काम करते हैं और डाटा कलेक्ट करते हैं जैसे की रिज के बीच की दुरी कितनी है रिज की मोटाई कितनी है और इनका स्ट्रक्चर कैसा है। इन सबकी सहायता से ये एक मैप क्रिएट करते हैं।

3. Ultrasonic Fingerprint Sensor

ये स्कैनर ऑप्टिकल और कपैसिटिव स्कैनर से नया स्कैनर है जो स्कैनिंग के लिए अल्ट्रासोनिक वेव्स का उपयोग करता है। इस तरह के सेंसर्स 3D स्कैनिंग के जरिये फिंगरप्रिंट्स की बारीक से बारीक विवरण को रिकॉर्ड करने में सक्षम होते हैं।
अल्ट्रासोनिक स्कैनर में अल्ट्रासोनिक ट्रांसमीटर और अल्ट्रासोनिक रिसीवर लगे होते हैं। जब स्कैनर पे आप अपनी ऊँगली को रखते हैं, अल्ट्रासोनिक ट्रांसमीटर अल्ट्रासोनिक वेव्स को छोड़ता है। इन वेव्स में से कुछ फिंगर में अब्सॉर्ब हो जाते हैं और कुछ बाउंस हो के वापस लौट जाते हैं । जो वेव्स बाउंस हो के वापस लौट आती हैं उनको अल्ट्रासोनिक रिसीवर रिसीव करता है और उसी आधार पे एक 3D इमेज बनाता है। इन 3D इमेज में बहुत सी डिटेल्स स्टोर होती हैं, जैसे की फिंगर प्रिंट के रिज की मोटाई उनके बीच की दुरी उनके बीच कोई ब्रेक या स्टॉपेज इत्यादि ।
यह तकनीक सबसे सुरक्षित माना जाता है क्योंकि यह एक कैपेसिटिव सेंसर की तुलना में बेहतर विवरण रिकॉर्ड कर सकता है।

फ़िंगरप्रिंट सेंसर कैसे काम करते हैं?

आइये देखते हैं की ये सेंसर्स कैसे काम करते हैं। फ़िंगरप्रिंट सेंसर के तीन प्राथमिक कार्य हैं:
1. नामांकन (enrollment),
2. खोज (searching) और
3. सत्यापन (verification)
नामांकन (enrollment) एक महत्वपूर्ण विशेषता है क्योंकि यह हमारी उंगली के पैटर्न को कैप्चर करता है, फिर ये विवरण डिवाइस में स्टोर किया जाता है। जब भी डिवाइस अनलॉक करने के लिए कोई अपनी ऊँगली स्कैनर पे लगाता है तो डिवाइस पहले से स्टोर किये हुए डिटेल्स में से फिंगरप्रिंट्स की खोज (Search) करना शुरू कर देता है। जैसे ही डिवाइस डिटेल्स खोज लेता है वो उसकी सत्यापन (Verification) और मिलान करना शुरू कर देता है । अगर आपकी ऊँगली के पैटर्न्स सेव किये हुए डाटा से मेल खाता है तो डिवाइस अनलॉक हो जाता है। लेकिन यदि आपकी ऊँगली के पैटर्न्स सेव किये हुए डाटा से मेल नहीं खाते हैं तो डिवाइस अनलॉक नहीं होगा। इनमे हाई-कैपेसिटी चिप्स लगा होता है जो ये सर्चिंग, कैलकुलेशन, इमेज रेंडरिंग और फीचर-फाइंडिंग बहुत तेजी से कर लेता है जो एक सेकंड से भी बहुत कम समय लेता है।

फिंगरप्रिंट सेंसर आज–कल क्यों इस्तेमाल होते है?

अक्सर लोग पासवर्ड खुद से रिलेटेड ही रखते है जैसे date of birth , या किसी का नाम या नंबर इत्यादि, जो guess किया जा सकता है। पैटर्न लॉक को ड्रा किया जाता है , जिसको कोई भी देख के ड्रा करके डिवाइस अनलॉक कर सकता है। लेकिन फिंगर प्रिंट्स ऑथेंटिकेशन इन सबसे सुरक्षित है। फिंगर प्रिंट्स इंसान के DNA के आधार पे बनते है जो दुनिया में किसी से भी मेल नहीं खाते है। इसलिए authorized व्यक्ति ही डिवाइस को अनलॉक कर सकता है।